रविवार, 2 दिसंबर 2018

किसे प्राप्त होता है तीर्थ का फल

किसे प्राप्त होता है तीर्थ का फल
1 तीर्थ क्षैत्र में जाने पर मनुष्य को स्नान, दान, जप आदि करना चाहिए, अन्यथा वह रोग एवं दोष का भागी होता है ।
2 अन्यत्र हिकृतं पापं तीर्थ मासाद्य नश्यति । तीर्थेषु यत्कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति ।
अन्य जगह किया हुआ पाप तीर्थ में जाने से नष्ट हो जाता है, पर तीर्थ में किया हुआ पाप वज्रलेप हो जाता है ।
3 जब कोई अपने माता-पिता, भाई, परिजन अथवा गुरू को फल मिलने के उददेश्य से तीर्थ में स्नान करता है तब उसे स्नान के फल का बारहवाँ भाग प्राप्त हो जाता है ।
4 जो दुसरो के धन से तीर्थ यात्रा करता है । उसे पुण्य का सौलहवाँ भाग प्राप्त हो जाता है और जो दूसरे कार्य के प्रसंग से तीर्थ में जाता है उसे उसका आधा फल प्राप्त होता है । 
ज्योतिषाचार्य प्रणयन एम. पाठक
10, अथर्व विहार आस्था गार्डन के पास, 
नानाखेडा़, उज्जैन (म.प्र.) 
9202220000

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें