शनिवार, 30 जुलाई 2011

रत्न गृह वास्तु वनस्पति यंत्र

किस लग्न में क्या रोग होगें 
लगातार 20 वर्षो से हजारो लेख एवं सत्य भविष्यवाणियाँ कर चुके विख्यात भविष्यवक्ता श्री आचार्य प्रणयन एम. पाठक ने बताया कि जन्मकुण्डली के द्वारा जातक के स्वास्थ्य के संबंध में वह सब कुछ पहले ही जाना जा सकता है जो भविष्य के गर्भ में छुपा होता है ।कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से बलवान है, तो कोई अत्यन्त कमजोर, किसी का शरीर रोग का घर है तो कोई पूर्ण स्वस्थ हैजो जातक जिस लग्न में जन्म लेता है। उसे उस लग्न की ही बीमारियों का सामना करना पडता है।
मेष- िजस जातक का जन्म मेष लग्न में होता है उसे गले के रोग त्वचा संबंधी रोग एवं एलर्जी, सनकीपन, रक्त विकार जैसे- फोडे फुन्सी आदि रोग अधिक होते है जातक कोइ न रोगो से बचने के लिए अपनी कुन्डली द्वारा उपाय करने चाहिए ।
वृषभ-वृषभ लग्न वाले जातक को गुप्त रोग की पूर्ण संभावना रहती है। शुगर तथा मुंह के रोग अधिक होते है ।
मिथुन-मिथुन लग्न में जन्मा जातक रक्त विकार, खून की कमी या परेशानी रक्त से संबंधित कोई दोष कान में दर्द तथा कन्धो में कष्ट की संभावना बनी रहती है।
कर्क-कर्क लग्न के जातक को पिलीया रोग, दिल की बीमारी फेफडे संबंधी रोग शुगर आदि बीमारियों के बलबती संभावना होती है।
सिंह-सिंह लग्न वाले जातकों को पेट संबंधी रोग वायु का कुपित होना वायु गोला स्नायुतंत्र में गडबडी तथा गठिया आदि रोग होते है।
कन्या-इस जातक को पैर में चोट मोच कमरदर्द, भ्रम आदि रोग होने की संभावना रहती है।
तुला-इस जातक को जलोदर या जल संबंधी रोग केन्सर या भयावह बीमारी की संभावना रहती है। घुटने ओर गठिया जैसी बीमारी भी होती है।
वृश्चिक-वृश्चिक लग्न वाले जातक को शस्त्राघात भय बना रहता है। इसे चोट, दुर्घटना और सिरदर्द जैसे रोग भी होते है।
धनु-इस जातक को कंधो में दर्द जीवन साथी से कष्ट, यौन रोग, गले में खराबी जैसे रोग होने की संभावना रहती है।
मकर-मकर लग्न के जातको को मानसिक चिन्ता अधिक रहती है इसे त्वचा रोग तथा मानसिक बीमारी अधिक होती है।
कंुभ-इस जातक को जिगर एवं हृदय रोग होते है ।
मीन-मोटापे तथा हड्डी टूटना आदि रोग होते है ।
ज्योतिषाचार्य प्रणयन एम. पाठक
9202220000