सोमवार, 23 मार्च 2015

मंत्र -तंत्र एवं देव साधना में माला का प्रयोग
प्रत्येक देवी देवताओं के मंत्र की सिद्धि के लिए एक निश्चित माला का विशेष महत्व होता है । अतः साधक को अपनें इष्ट की मंत्र साधना के लिए विशेष माला से मंत्रानुष्ठान करना चाहिए ।
1 शक्ति उपासना में लाल चन्दन और रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करे ।
2 बगलामुखी के लिए हल्दी की माला, मातंगी व लक्ष्मी के लिए कमल गट्टे, चन्दन की माला अथवा स्फटिक एवं रत्नों की माला का उपयोग भी कर सकतेहै ।
3 दुर्गा हेतु रूद्राक्ष लालचन्दन एवं मूँगें की माला से मंत्रानुष्ठान करे ।
4 शांतिकर्म के लिए चन्दन एवं स्फटिक की माला का प्रयोग करे
5 वशीकरण व मारणादि में काले वर्ण की माला या कमलगट्टे की माला का प्रयोग करे ।
6 धूमावती साधना में रूद्राक्ष एवं उग्र कर्म मे अस्थि की माला का उपयोग करे ।
7 गणेश के लिए गजदन्त, शिव के लिए रूद्राक्ष, विष्णु के लिए तुलसी की माला का उपयोग करे ।
ज्योतिषाचार्य प्रणयन एम. पाठक
9202220000

रविवार, 22 मार्च 2015

RATNA GRAH VANASPATI VASTU YANTRA tantra mantra

चित्रकार एवं नाट्य कलाकार योग
चित्रकार एवं नाट्य कलाकार बनने के लिए आपके हाथो में होना चाहिए निम्नलिखित योग-
1 जिस जातक के हाथ में चन्द्र उठा होकर मणिबन्ध रेखा को दबाए व मस्तक रेखा लम्बी व टेढ़ी हो अँगुलिया नुकीली व बिना गाँठ की होत था सूर्यागुंली पुष्ट होकर प्रथम पर्व चैड़ा आगे का हिस्सा गोल एवं पतला हो वह काल्पनिक चित्रकार होता है।
2 जिस जातक के हाथों की अँगुलिया लम्बी हो, मस्तक रेखा सीधी एवं अनामिका अँगुली समकोण हो वह ऐतिहासिक चित्रकार होता है ।
3 जिस जातक के हाथों की अँगुलिया गोल, चपटी, पतली हो तथा अनामिका सीधी और लम्बी हो एवं सूर्य पर्वत बुध पर्वत को दबाए वह व्यंग्य (कार्टून) चित्रकार होता है ।
4 जिसके हाथ की अँगुलिया लम्बी और अनामिका का प्रथम पर्व पुष्ट हो वह छोटे-छोटे चित्र बनाने वाला ड्रांइग मास्टर होता है।
5 जिसकी अँगुलिया समकोण हो, शुक्र क्षैत्र उठा हो तथा उस पर गहरी रेखाएँ फेली हो एवं मस्तक रेखा से एक शाखा निकलकर बुध क्षैत्र पर जा रही हो वह नाट्य कलाकार होता है ।
6 जिसके हाथ कीअनामिका गोल, पतली, लम्बी हो तथा सभी अँगुलिया अलग-अलग रहे एवं अँगुठा पीछे की और मुड़ा हो और चन्द्र, बुध उच्च हो वह नाट्य कला में सुत्रधार होता है ।
ज्योतिषाचार्य प्रणयन एम. पाठक
9202220000